Six Acres and a Third (Chha Mana Atha Guntha): Summary and Central Characters in Hindi.

By BIJAY KUMAR Shaw

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हुआ बीघा जमीन: सारांश और केंद्रीय चरित्र

मुख्य अवधारणाएँ: औपनिवेशिक अकाल, शोषण, जमींदारी, सामाजिक कुरूतियाँ, धार्मिक पाखंड, भूमिहीन किसान, सूदखोरी, जातिवाद, न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार।

1. उपन्यास का परिचय और विषय:

  • "छ: बीघा जमीन" फकीर मोहन सेनापति की उड़िया भाषा में लिखी गई एक प्रसिद्ध रचना है, जिसका अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
  • यह उपन्यास औपनिवेशिक अकाल के समय की कहानी है, जो 19वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशक में घटित हुई।
  • यह धन, लालच, संपत्ति और चोरी की कथा है, जिसमें धूर्त जमींदार राम चंद्र महाराज गरीब किसानों का शोषण करते हैं।
  • यह उपन्यास उड़िया समाज, विशेषकर पिछड़ी जाति के लोगों के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक पिछड़ेपन को उजागर करता है।

2. शोषण का चित्रण:

  • यह उपन्यास भूमिहीन किसानों और मजदूरों के शोषण का वर्णन करता है, जो जमींदारों, भूपतियों और अंग्रेजी सरकार के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
  • यह रचना रशिया की अक्टूबर क्रांति और भारत में मार्क्सवादी विचारधारा के उदय से पहले की है।
  • सत्यप्रिय महंती के अनुसार, यह 19वीं शताब्दी की उत्कृष्ट रचना है, जो समाज को दर्पण दिखाती है और गहन विश्लेषण की मांग करती है।

3. ऐतिहासिक दस्तावेज:

  • "छ: बीघा जमीन" एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है, जो 1803 से 1840 तक औपनिवेशिक शासन के अधीन भारतीय गांव के निम्न स्तर के जीवन और समाज व्यवस्था की नग्नता को उजागर करता है।
  • यू आर अनंतमूर्ति के अनुसार, यह भारतीय साहित्य ही नहीं, विश्व साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण घटना है।
  • फकीर मोहन सेनापति का यह उपन्यास भारतीय साहित्य इतिहास की नींव है।

4. श्री रामचंद्र मंगा राज: केंद्रीय चरित्र:

  • श्री रामचंद्र मंगा राज इस उपन्यास का केंद्रीय चरित्र है, जिसकी कथा उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक फैली हुई है।
  • वह एक साधारण व्यक्ति था, जिसने छल-कपट से फतेहपुर संधा की जमींदारी दिलदार मियां से हड़प ली।
  • उसने आसामियों से लगान के रूप में एकत्र किए गए पैसों का इस्तेमाल जमींदारी खरीदने के लिए किया।
  • उसने दिलदार मियां को धोखा दिया और रिश्वत देकर 30 हजार के करीब दस्तावेज पर सही करवा लिया।
  • शराब के नशे में धुत दिलदार मियां से सही करवाकर, उसने कटक न्यायालय में केस फाइल करके जमींदारी अपने नाम करा ली।

5. मंगा राज का पाखंड और शोषण:

  • मंगा राज लोगों की आंखों में धूल झोंकता था और धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करता था।
  • वह फतेहपुर संधा का ग्रामीण जमींदार और प्रमुख महाजन था, जिसके खजाने में नगद रुपए की आमदनी कई गुना ज्यादा थी।
  • वह झूठ और छल में देसी व्यक्ति था, जो गांव के लोगों को दिखाता था कि वह धार्मिक व्यक्ति है और एकादशी का व्रत रखता है।
  • उसका नौकर जगह हजाम उसके रहस्य को खोल देता है कि वह एकादशी के संध्या में भरपेट भोजन करता है।
  • द्वादशी के दिन वह 27 ब्राह्मण परिवारों को पारंपरिक भोज के लिए बुलाता है और उन्हें मुट्ठी भर चावल और थोड़ा गुड़ देकर सम्मानपूर्वक संबोधित करता है।

6. श्याम ग्वाला की जमीन का हड़पना:

  • मंगा राज अपने चचेरे भाई श्याम ग्वाला की 15 एकड़ जमीन बहुत कम मूल्य पर हड़प लेता है।
  • श्याम ग्वाला शहर में प्याज खा लेता है, जिससे मंगा राज उस पर प्रायश्चित करने और ब्राह्मणों को भोज देने का दबाव बनाता है।
  • श्याम विधर्मी होने के भय से अपनी पैतृक संपत्ति मंगा राज को बेच देता है।
  • मंगा राज के घर में प्याज खूब खाई जाती है, लेकिन गांव में कोई उससे सवाल नहीं कर सकता।

7. सूदखोरी और ब्याज दरें:

  • मंगा राज गांव वालों को अनाज 50% ब्याज दर पर और रुपया 100% या उससे भी ज्यादा ब्याज दर पर उधार देता था।
  • वह पक्का सरकारी कागज बनाता था ताकि असामी की जमीन जायदाद शीघ्रता से हड़प सके।
  • वह कहता था कि 50% ब्याज दर पर उसे कुछ भी फायदा नहीं होता है।
  • भिखारी पंडा से ₹5 उधार लेने पर चक्रवृद्धि ब्याज के तहत ₹70 वसूले गए।

8. अछूतों का शोषण:

  • मंगा राज अछूत और निम्न जाति के लोगों (बावरी और पन्ना) को अपने घर में नौकर रखता था और उनसे बड़ी कराई से काम लेता था।
  • वह उन्हें सूर्योदय से पहले उठाता था और सूर्यास्त के बाद भोजन देता था।
  • मजदूरों को दो-दो बड़े कटोरा में मार पीने के लिए दिया जाता था और उन्हें सहजन के पत्ते, फूल और फल सब्जी के रूप में परोसे जाते थे।
  • वह अपने खेत में काम करने वाले मजदूरों को दो वर्ष तक भी वेतन नहीं देता था।
  • वह निम्न जाति के लोगों के खेतों से अपनी इच्छा के अनुसार पेड़ के फल और चारा जबरदस्ती उखाड़ लेता था।

9. ब्राह्मणों का शोषण:

  • मंगा राज केवल निम्न जाति के लोगों का ही शोषण नहीं करता था, बल्कि गांव के ब्राह्मणों का भी शोषण करता था।
  • गांव के पढ़ाए जितने ब्राह्मण थे, उन्होंने अपनी जमीन मंगा राज को बेच दी थी।
  • वह चोरों से सांठगांठ करके ब्राह्मणों के खेतों से अनाज उदय करवाता था।

10. गायों का शोषण:

  • मंगा राज गांव वालों को यह दिखाने का प्रयास करता था कि वह गायों के लिए चिंतित रहता है और उनका संरक्षक है।
  • वह खुले में भटकते हुए लावारिस गायों को पकड़कर देखभाल के नाम पर अपना बना लेता था।
  • निम्न जाति के लोग लावारिस गायों को पकड़कर मंगा राज को सौंप देते थे और बदले में छोटा पुरस्कार पाते थे।
  • जब गाय-बैलों की संख्या अधिक हो जाती थी, तब मंगा राज इन्हें मुस्लिम व्यापारियों के हाथ बेच डालता था।

11. नौकरानियों का शोषण:

  • मंगा राज के घर में बहुत सी नौकरानियां काम करती थीं, जिनका वह शारीरिक और मानसिक शोषण करता था।
  • इन नौकरानियों को घर में काम करने के लिए बहुत कुछ नहीं था, ज्यादा समय वह आपस में गपशप किया करती थीं।
  • कुछ नौकरानियां बचपन से ही विधवा थीं और विधवा होने के कारण मंगा राज के घर में रहने को मजबूर थीं।
  • मंगा राज का घर एक विश्वविद्यालय या चकलाघर में परिणित हो गया था।

12. गुमराह जिन्ना के साथ मिलकर अपराध:

  • मंगा राज गांव के चौकीदार गुमराह जिन्ना के साथ मिलकर चोरी, डकैती और राहजनी जैसे अपराध भी करता था।
  • गुमराह जिन्ना के समुदाय के लोग इन अपराधों को अंजाम देते थे।
  • जब कभी पान पकड़े जाते थे और उन्हें सजा हो जाती थी, तब गुमराह जिन्ना मंगा राज के बखार से उनके परिवारों को मदद करता था।

13. बग्गा सिंह से दुश्मनी:

  • मंगा राज की बग्गा सिंह के परिवार से पुरानी दुश्मनी थी।
  • मंगा राज कानूनी दांव-पेंच में होशियार था और बग्गा सिंह के परिवार वाले उसका मुकाबला नहीं कर सकते थे।
  • मंगा राज ने दरोगा इनायत हसन से मिलकर रतनपुर के डोमों को झूठे चोरी के केस में फंसा दिया।
  • मंगा राज चंपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचता है और बग्गा सिंह के घर में आग लगवा देता है।

14. सरिया और भगिया की जमीन का हड़पना:

  • मंगा राज की नजर सरिया और भगिया की छह बीघा जमीन पर थी।
  • वह चंपा, गांव के पुजारी और अन्य लोगों को शामिल करके उनकी जमीन हड़प लेता है।
  • पुजारी साला राणा सरिया को स्वप्न में देवी के प्रकट होने की बात बताता है और उसे देवी स्थान पर पूजा अर्पित करने के लिए कहता है।
  • जगा हजाम गड्ढे में छिपकर देवी की आवाज निकालता है और सरिया को मंदिर बनाने का आदेश देता है।
  • सरिया और भगिया पुजारी के सलाह पर अपनी जमीन मंगा राज के पास बंधक रख देते हैं।
  • कुछ दिनों के बाद मंगा राज सिपाहियों के साथ आकर भगिया का घर उजाड़ देता है, जिससे सरिया पागल हो जाता है।

15. मंगा राज का अंत:

  • सरिया भूखे-प्यासे मंगा राज के घर के पिछवाड़े मर जाता है।
  • दरोगा इनायत हुसैन मंगा राज को गिरफ्तार कर लेता है।
  • मंगा राज हत्या के आरोप से बरी हो जाता है, लेकिन उसे छह महीने का सश्रम कारावास होता है।
  • जेल में रतनपुर के डोम मंगा राज का मजाक उड़ाते हैं और उसे पीटते हैं।
  • पागल भगिया मंगा राज पर हमला कर देता है और उसके नाक काट देता है।
  • रतनपुर के डोम मंगा राज और गुमराह जिन्ना को इतना पीटते हैं कि उनकी जेल में ही मृत्यु हो जाती है।
  • मंगा राज की मृत्यु उसी स्थान पर होती है जहां 3 महीने पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हुई थी।

16. निष्कर्ष:

"छ: बीघा जमीन" औपनिवेशिक काल में जमींदारों द्वारा किए गए शोषण, सामाजिक कुरूतियों और धार्मिक पाखंड का मार्मिक चित्रण है। यह उपन्यास भारतीय साहित्य इतिहास की एक महत्वपूर्ण रचना है, जो समाज को दर्पण दिखाती है और गहन विश्लेषण की मांग करती है।

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