Resilient by Choice, Not by Force | Nayani Dixitt | TEDxUnited University
By TEDx Talks
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सारांश
मुख्य अवधारणाएँ:
- टेक्नोलॉजी, डिजाइन और शिक्षा का महत्व
- आंतरिक चिंगारी (स्पार्क विदिन) - आत्म खोज, आंतरिक शक्ति, रचनात्मकता और लचीलापन
- सामाजिक मानदंड और उनका प्रभाव
- आत्म-विश्लेषण और आत्म-खोज की यात्रा
- रचनात्मकता (क्रिएटिविटी) - कल्पना और अवलोकन
- लचीलापन (रेज़िलियंस) - दृढ़ता और सत्यनिष्ठा के साथ
- तार्किकता (रेशनलिटी) बनाम बुद्धि
- स्वयं के साथ अकेले रहने का महत्व
1. आंतरिक चिंगारी (स्पार्क विदिन):
- हर मनुष्य जन्म से ही एक आंतरिक चिंगारी लेकर पैदा होता है।
- यह चिंगारी केवल स्टार बनने या बड़ा काम करने के लिए नहीं है, बल्कि कड़ी धूप में पत्थर तोड़ने वाले मजदूर, खाना बनाने वाली महिला और एबीसीडी सुनाने वाले बच्चे में भी होती है।
- यह चिंगारी हमें वो काम करने की शक्ति देती है जो हम करते हैं।
2. सामाजिक मानदंड और उनका प्रभाव:
- समाज के मानदंड (जैसे "तुम मोटी हो," "तुम्हारे बाल छोटे हैं") हमारी गट फीलिंग को बेवकूफ समझने पर मजबूर करते हैं।
- ये मानदंड पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं और हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम पर्याप्त नहीं हैं।
- उदाहरण: "अरे, मैं तो बस नौकरी करता हूँ," यह सोच उस आंतरिक चिंगारी को दबा देती है।
3. आत्म-खोज की यात्रा:
- आत्म-खोज तब शुरू होती है जब हम अपनी ईर्ष्या, दुख और अवसाद जैसे इमोशंस को स्वीकार करते हैं और उनका विश्लेषण करते हैं।
- उदाहरण: यूपीएससी एस्पिरेंट का असफल होना और फिर कोचिंग खोलना।
- यह यात्रा लगातार चलती रहती है, क्योंकि हम मनुष्य हैं और समस्याओं के साथ पैदा हुए हैं।
4. रचनात्मकता (क्रिएटिविटी):
- रचनात्मकता केवल संगीत, अभिनय या कला तक सीमित नहीं है।
- एक इंजीनियर पुल बनाते समय और एक डॉक्टर क्रिटिकल सर्जरी करते समय भी रचनात्मकता का उपयोग करते हैं।
- रचनात्मकता के लिए कल्पना और अवलोकन सबसे महत्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण: बच्चे माचिस की डिब्बी को भी प्लेन समझ सकते हैं।
5. लचीलापन (रेज़िलियंस):
- लचीलापन तभी तक अच्छा है जब तक उसमें सत्यनिष्ठा शामिल हो, वरना वह चाटुकारिता बन जाता है।
- लचीलापन और दृढ़ता साथ-साथ चलते हैं।
- इंटेग्रिटी तब होती है जब आप अपने साथ अकेले होते हैं।
6. तार्किकता (रेशनलिटी):
- मनुष्य बुद्धि नहीं, तार्किकता के साथ पैदा होता है।
- तार्किकता विकसित करने के लिए किताबें पढ़ें, फिलॉसफर्स को सुनें, यात्रा करें और अनुभवी लोगों से मिलें।
- अनुभवी लोग आपके माता-पिता, दादा-दादी भी हो सकते हैं।
- उदाहरण: मनोज वाजपेयी की माँ का कहना कि असफल व्यक्ति को बेवकूफ नहीं समझना चाहिए।
7. दैनिक अभ्यास:
- सुबह उठकर किसी से बात मत कीजिए, अपने साथ अकेले रहिए।
- दिनभर के कामों को किसी को गिनाइए मत।
- "ईट द बिगर फ्रॉग" नियम का पालन करें - सबसे महत्वपूर्ण काम पहले करें।
- पढ़िए, सोचिए और डिजाइन कीजिए।
8. जयशंकर प्रसाद की पंक्तियाँ:
- "इस पथ का उद्देश्य नहीं शांत भवन में टिक रहना, किंतु पहुंचना उस सीमा तक जिसके आगे राह नहीं।"
9. निष्कर्ष:
- आंतरिक चिंगारी, आत्म-खोज, रचनात्मकता, लचीलापन और तार्किकता - ये सभी चीजें हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हैं।
- हमें समाज के मानदंडों से ऊपर उठकर अपनी आंतरिक आवाज को सुनना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
- स्वयं के साथ अकेले रहना और पढ़ना हमें इन सभी चीजों को विकसित करने में मदद करता है।
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