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By The Credible History

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प्रोफेसर राम पुनियानी के साथ बातचीत: एक विस्तृत सारांश

मुख्य अवधारणाएँ:

  • सांप्रदायिकता
  • मानवतावाद
  • मार्क्सवाद
  • लोकतांत्रिक समाज
  • सामाजिक आंदोलन
  • हिंदू राष्ट्रवाद
  • आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
  • सावरकर
  • गोलवलकर
  • प्रोपेगंडा

1. प्रोफेसर पुनियानी का प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा:

  • प्रोफेसर पुनियानी ने 1993 से सांप्रदायिकता के खिलाफ काम करने का सचेत निर्णय लिया, लेकिन इसकी जड़ें उनके विद्यार्थी जीवन में ही थीं।
  • गरीबी और मरीजों की हालत देखकर समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली।
  • पंडित सुंदरलाल की "भारत का इतिहास" और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ने से प्रभावित हुए।
  • परिवार 1947 में पाकिस्तान से आया था, लेकिन पुनियानी के मन में समाज परिवर्तन की इच्छा प्रबल थी।
  • रूस की क्रांति का भी प्रभाव पड़ा।
  • विश्व के विभिन्न धर्मों का अध्ययन किया और मानवता को एकमात्र धर्म माना।

2. मार्क्सवाद और सामाजिक परिवर्तन:

  • मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ मार्क्सवाद का अध्ययन जारी रखा।
  • 1971-72 के सामाजिक माहौल ने सोचने की प्रक्रिया को तेज किया।
  • एक दोस्त के समाज आंदोलन से जुड़ने के फैसले से प्रभावित होकर, पुनियानी ने भी समाज के लिए काम करने का निर्णय लिया।
  • नागपुर में कवर्ड गार्डन से मुलाकात की और "स्पार्क फोरम" नामक एक ग्रुप बनाया।

3. आरएसएस और सांप्रदायिकता:

  • बचपन में आरएसएस की शाखा में खेलने गए, लेकिन गांधी-नेहरू के खिलाफ बातें सुनकर नफरत हुई और शाखा जाना छोड़ दिया।
  • 1947 में पाकिस्तान से आए लोगों में से कई आरएसएस के प्रोपेगंडा का शिकार हुए।
  • पुनियानी ने प्रेमचंद के साहित्य, आजादी के आंदोलन और क्रांतिकारी आंदोलन से प्रेरणा ली।
  • 1980 के दशक में पुनियानी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि समाज का परिवर्तन केवल लोकतांत्रिक समाज में और सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से ही संभव है।

4. सावरकर और हिंदू राष्ट्रवाद:

  • 1960-70 के दशक में महाराष्ट्र में सावरकर पर ज्यादा बात नहीं होती थी।
  • 2014 के बाद सावरकर को हीरो बनाकर पेश करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि आरएसएस अपने राष्ट्रवाद के प्रतीकों को खड़ा करना चाहता था।
  • सावरकर की जिंदगी का पहला भाग, जिसमें वे जेल गए और ब्रिटिश विरोधी थे, आरएसएस के लिए उपयोगी था।
  • आरएसएस की शाखाओं में सावरकर के राष्ट्रवाद को ही सबसे ज्यादा प्रस्तुत किया जाता है।
  • गोलवलकर के विचारों को सावरकर ने अलग तरीके से प्रस्तुत किया।

5. लेखन और सक्रियता:

  • पुनियानी ने 6 दिसंबर 1992 को सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष करने का फैसला किया।
  • असगर अली इंजीनियर के साथ मिलकर "एकता" नामक ग्रुप बनाया।
  • आरएसएस को समझने के लिए उस पर किताब लिखने का निर्णय लिया।
  • "आरएसएस से बहुत बेहतरीन किताबें" नामक किताब लिखी, जिसमें आरएसएस के हिंदुत्व और उसके प्रभाव का विश्लेषण किया गया।

6. 2014 के बाद बदलाव और आगे की राह:

  • 2004 में पुनियानी ने रिटायरमेंट ले लिया और सांप्रदायिकता के खिलाफ काम करने का फैसला किया।
  • 2014 के बाद कार्यशालाओं में सक्रिय कार्यकर्ताओं की संख्या कम हुई, लेकिन लेखन और ऑनलाइन सक्रियता बढ़ी।
  • कोविड के दौरान ऑनलाइन मीटिंग्स का महत्व समझ में आया।
  • पुनियानी को धमकियां मिलती रहीं, जिसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा मिली।

7. निष्कर्ष:

प्रोफेसर राम पुनियानी ने अपना जीवन सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक करने और प्रेरित करने का काम किया है। उनका मानना है कि लोकतांत्रिक समाज में सामाजिक आंदोलनों के माध्यम से ही परिवर्तन संभव है।

Key Quotes:

  • "1993 से मैंने सांप्रदायिकता के खिलाफ कम करने का एक कॉन्शियस निर्णय लिया।"
  • "एक ही धर्म हो सकता है दुनिया का वो है मानवता।"
  • "समाज का परिवर्तन केवल लोकतांत्रिक समाज में संभव है और ये परिवर्तन केवल सामाजिक आंदोलन के मध्य से संभव है।"
  • "आरएसएस का ये कम उस समय से उससे पहले चल रहा है, वैसे देखा जाए तो 1925 से उन्होंने कभी अपनी धारा को छोड़ा नहीं।"
  • "सावरकर की जिंदगी का जो पहला भाग था कि जिसमें वो जय में गए थे और उसके पहले वो ब्रिटिश विरोधी थे तो वो एक चीज इनके लिए उपलब्ध है तो इस को लेकर वो एक बड़ा हीरो क्रिएट करना चाहते हैं।"
  • "गोलवलकर का जो फॉर्मूला किस प्रकार से रखा है वो बहुत प्लांट और वास्तविक वही है।"
  • "सांप्रदायिकता अगर बड़ी तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और सांप्रदायिक का केवल मुसलमान के खिलाफ नहीं आदिवासी औरतें के भी खिलाफ है।"
  • "2014 के बाद बदलाव यह है कि 2014 के पहले आप बहुत सारे जो कार्यशालाएं करते थे जिसमें सक्रिय कार्यकर्ता आते थे तीन दिन की वर्कशॉप 5 दिन की वर्कशॉप और लेक्चर उसके मध्य से बहुत-बहुत बाढ़ रही थी 2014 के बाद से उसमें फूल स्टॉप मैंने फिर कम कम हुआ और उसमें फिर मैंने ये तरीके से लेखन का कम थोड़ा ज्यादा किया।"

Technical Terms:

  • सांप्रदायिकता (Communalism): धार्मिक आधार पर समाज में भेदभाव और तनाव पैदा करना।
  • मानवतावाद (Humanism): मानव मूल्यों और कल्याण को महत्व देना।
  • मार्क्सवाद (Marxism): सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचारधारा जो वर्ग संघर्ष और पूंजीवाद के विरोध पर आधारित है।
  • लोकतांत्रिक समाज (Democratic Society): वह समाज जिसमें लोगों को राजनीतिक और नागरिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  • सामाजिक आंदोलन (Social Movement): सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए लोगों का संगठित प्रयास।
  • हिंदू राष्ट्रवाद (Hindu Nationalism): भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की विचारधारा।
  • आरएसएस (Rashtriya Swayamsevak Sangh): हिंदू राष्ट्रवादी संगठन।
  • प्रोपेगंडा (Propaganda): किसी विचारधारा या उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सूचनात्मक तरीके।

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