NUCLEI in 60 Minutes | Full Chapter Revision | Class 12th JEE
By JEE Wallah
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Key Concepts
- न्यूक्लियस (Nucleus): एटम का केंद्रीय भाग, जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं।
- न्यूक्लिऑन (Nucleon): न्यूक्लियस के अंदर रहने वाले पार्टिकल्स, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन।
- एटॉमिक नंबर (Atomic Number): प्रोटॉनों की संख्या।
- मास नंबर (Mass Number): प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या।
- आइसोटोप (Isotope): समान एटॉमिक नंबर, भिन्न मास नंबर।
- आइसोबार (Isobar): समान मास नंबर, भिन्न एटॉमिक नंबर।
- आइसोटोन (Isotone): समान संख्या में न्यूट्रॉन।
- रेडियस ऑफ़ न्यूक्लिआई (Radius of Nuclei): R = R₀A^(1/3), जहाँ R₀ = 1.2 फर्मी (1.2 x 10⁻¹⁵ मीटर)।
- वॉल्यूम ऑफ़ न्यूक्लिआई (Volume of Nuclei): न्यूक्लियस का वॉल्यूम मास नंबर के समानुपाती होता है।
- एटॉमिक मास यूनिट (AMU): कार्बन-12 परमाणु के द्रव्यमान का 1/12 भाग (1.66 x 10⁻²⁷ kg)।
- मास डिफेक्ट (Mass Defect): अपेक्षित द्रव्यमान और वास्तविक द्रव्यमान के बीच का अंतर।
- बाइंडिंग एनर्जी (Binding Energy): न्यूक्लियस को उसके घटकों में अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा।
- बाइंडिंग एनर्जी पर न्यूक्लिऑन (Binding Energy per Nucleon): न्यूक्लियस की स्थिरता का माप।
- न्यूक्लियर फोर्स (Nuclear Force): प्रकृति में सबसे मजबूत बल, जो न्यूक्लिऑनों को एक साथ रखता है।
- न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion): दो हल्के नाभिकों का मिलकर एक भारी नाभिक बनाना।
- न्यूक्लियर फिशन (Nuclear Fission): एक भारी नाभिक का दो या दो से अधिक हल्के नाभिकों में टूटना।
- Q-वैल्यू (Q-value): एक परमाणु प्रतिक्रिया में जारी ऊर्जा।
- अल्फा डीके (Alpha Decay): एक अस्थिर नाभिक से हीलियम नाभिक का उत्सर्जन।
- बीटा डीके (Beta Decay): एक अस्थिर नाभिक से इलेक्ट्रॉन या पॉजिट्रॉन का उत्सर्जन।
- गामा डीके (Gamma Decay): एक उत्तेजित नाभिक से गामा फोटॉन का उत्सर्जन।
1. न्यूक्लियस और उसके घटक
- न्यूक्लियस एटम का केंद्रीय भाग है, जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं।
- न्यूक्लियस का आयतन पूरे एटम की तुलना में बहुत कम होता है।
- एटम का लगभग सारा द्रव्यमान न्यूक्लियस में केंद्रित होता है।
- प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को सामूहिक रूप से न्यूक्लिऑन कहा जाता है।
- प्रोटॉन धनात्मक रूप से आवेशित होते हैं, जबकि न्यूट्रॉन तटस्थ होते हैं।
2. न्यूक्लिआई का प्रतिनिधित्व
- किसी न्यूक्लिआई को ᴬZ X के रूप में दर्शाया जाता है, जहाँ Z एटॉमिक नंबर है और A मास नंबर है।
- न्यूट्रॉनों की संख्या (N) = A - Z.
- प्रोटॉन का द्रव्यमान लगभग 1.67 x 10⁻²⁷ kg होता है, जो न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।
- इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की तुलना में बहुत कम होता है।
3. एटॉमिक मास यूनिट (AMU)
- AMU को कार्बन-12 परमाणु के द्रव्यमान के 1/12 भाग के रूप में परिभाषित किया गया है।
- 1 AMU लगभग 1.66 x 10⁻²⁷ kg के बराबर होता है।
- AMU का उपयोग प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और न्यूक्लियस के द्रव्यमान को मापने के लिए किया जाता है क्योंकि उनके द्रव्यमान kg में बहुत छोटे होते हैं।
4. आइसोटोप, आइसोबार और आइसोटोन
- आइसोटोप में समान एटॉमिक नंबर लेकिन अलग-अलग मास नंबर होते हैं (उदाहरण: C-12 और C-14)।
- आइसोबार में समान मास नंबर लेकिन अलग-अलग एटॉमिक नंबर होते हैं (उदाहरण: C-14 और N-14)।
- आइसोटोन में समान संख्या में न्यूट्रॉन होते हैं।
5. न्यूक्लिआई का आकार
- न्यूक्लियस की त्रिज्या R = R₀A^(1/3) के द्वारा दी जाती है, जहाँ R₀ लगभग 1.2 फर्मी है।
- न्यूक्लियस का आयतन मास नंबर (A) के समानुपाती होता है।
6. न्यूक्लियस का द्रव्यमान और घनत्व
- न्यूक्लियस का अपेक्षित द्रव्यमान उसके घटकों (प्रोटॉन और न्यूट्रॉन) के द्रव्यमान का योग होना चाहिए।
- हालांकि, वास्तविक द्रव्यमान थोड़ा कम होता है, और इस अंतर को मास डिफेक्ट कहा जाता है।
- न्यूक्लियस का घनत्व लगभग 2.3 x 10¹⁷ kg/m³ होता है और यह सभी न्यूक्लियस के लिए स्थिर होता है।
7. न्यूक्लियर फोर्स
- न्यूक्लियर फोर्स प्रकृति में सबसे मजबूत बल है।
- यह एक लघु-श्रेणी का बल है, जो केवल 3-4 फर्मी के भीतर प्रभावी होता है।
- यह चार्ज से स्वतंत्र है, जिसका अर्थ है कि प्रोटॉन-प्रोटॉन, प्रोटॉन-न्यूट्रॉन और न्यूट्रॉन-न्यूट्रॉन के बीच बल समान है।
- यह एक केंद्रीय बल नहीं है और स्पिन पर निर्भर है।
- 0.8 फर्मी से कम दूरी पर, बल प्रतिकारक हो जाता है।
8. मास-एनर्जी इक्विवेलेंस
- आइंस्टीन का समीकरण E = mc² द्रव्यमान और ऊर्जा के बीच संबंध का वर्णन करता है।
- द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, और इसके विपरीत।
- 1 ग्राम द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित करने से 9 x 10¹³ जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है।
9. बाइंडिंग एनर्जी
- बाइंडिंग एनर्जी वह ऊर्जा है जो एक न्यूक्लियस को उसके घटकों में अलग करने के लिए आवश्यक होती है।
- इसे डेल्टा E = डेल्टा m c² का उपयोग करके गणना की जा सकती है, जहाँ डेल्टा m मास डिफेक्ट है।
- यदि डेल्टा m AMU में है, तो ऊर्जा की गणना डेल्टा E = डेल्टा m x 931.5 MeV का उपयोग करके की जा सकती है।
10. न्यूक्लियस की स्थिरता
- न्यूक्लियस की स्थिरता को बाइंडिंग एनर्जी प्रति न्यूक्लिऑन द्वारा मापा जाता है।
- उच्च बाइंडिंग एनर्जी प्रति न्यूक्लिऑन का मतलब अधिक स्थिर न्यूक्लियस होता है।
- आयरन-56 (Fe-56) में सबसे अधिक बाइंडिंग एनर्जी प्रति न्यूक्लिऑन (8.8 MeV) होती है और यह सबसे स्थिर न्यूक्लियस है।
- मध्यम आकार के न्यूक्लिआई (A = 30-170) हल्के और भारी न्यूक्लिआई की तुलना में अधिक स्थिर होते हैं।
11. न्यूक्लियर फ्यूजन और फिशन
- न्यूक्लियर फ्यूजन में, दो हल्के न्यूक्लिआई मिलकर एक भारी न्यूक्लियस बनाते हैं, जिससे ऊर्जा निकलती है।
- न्यूक्लियर फिशन में, एक भारी न्यूक्लियस दो या दो से अधिक हल्के न्यूक्लिआई में टूट जाता है, जिससे ऊर्जा निकलती है।
- फ्यूजन प्रतिक्रियाओं के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि फिशन प्रतिक्रियाएं सहज हो सकती हैं।
12. Q-वैल्यू ऑफ़ रिएक्शन
- Q-वैल्यू एक परमाणु प्रतिक्रिया में जारी ऊर्जा है।
- इसे रिएक्टेंट और प्रोडक्ट के द्रव्यमान के अंतर का उपयोग करके गणना की जा सकती है: Q = (m_reactants - m_products) c².
- इसे बाइंडिंग एनर्जी के संदर्भ में भी गणना की जा सकती है: Q = बाइंडिंग एनर्जी (उत्पाद) - बाइंडिंग एनर्जी (रिएक्टेंट)।
- यदि Q सकारात्मक है, तो प्रतिक्रिया एक्सोथर्मिक है (ऊर्जा जारी होती है)।
- यदि Q नकारात्मक है, तो प्रतिक्रिया एंडोथर्मिक है (ऊर्जा की आवश्यकता होती है)।
13. रेडियोधर्मी क्षय (Radioactive Decay)
- अल्फा क्षय में, एक न्यूक्लियस एक अल्फा कण (हीलियम नाभिक) का उत्सर्जन करता है।
- बीटा क्षय में, एक न्यूक्लियस एक इलेक्ट्रॉन (बीटा माइनस क्षय) या एक पॉजिट्रॉन (बीटा प्लस क्षय) का उत्सर्जन करता है।
- गामा क्षय में, एक उत्तेजित न्यूक्लियस एक गामा फोटॉन का उत्सर्जन करता है।
14. अल्फा डीके (Alpha Decay)
- अल्फा क्षय में, एक पेरेंट न्यूक्लिआई एक डॉटर न्यूक्लिआई और एक अल्फा कण में क्षय होता है।
- यदि पेरेंट न्यूक्लिआई आराम पर है, तो अल्फा कण और डॉटर न्यूक्लिआई विपरीत दिशाओं में गति करेंगे ताकि संवेग संरक्षित रहे।
- अल्फा कण और डॉटर न्यूक्लिआई की गतिज ऊर्जा उनके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
15. बीटा डीके (Beta Decay)
- बीटा माइनस क्षय में, एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन, एक इलेक्ट्रॉन और एक एंटीन्यूट्रिनो में परिवर्तित होता है।
- बीटा प्लस क्षय में, एक प्रोटॉन एक न्यूट्रॉन, एक पॉजिट्रॉन और एक न्यूट्रिनो में परिवर्तित होता है।
16. गामा डीके (Gamma Decay)
- गामा क्षय में, एक उत्तेजित न्यूक्लियस एक गामा फोटॉन का उत्सर्जन करता है।
- यह क्षय का एक प्रकार है जिसमें न्यूक्लियस की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता है, केवल ऊर्जा स्तर में परिवर्तन होता है।
17. निष्कर्ष
न्यूक्लिआई चैप्टर परमाणु नाभिक की संरचना, गुणों और प्रतिक्रियाओं की पड़ताल करता है। इसमें न्यूक्लियस के घटकों, बलों को एक साथ रखने, स्थिरता और विभिन्न प्रकार के क्षय शामिल हैं। बाइंडिंग एनर्जी प्रति न्यूक्लिऑन की अवधारणा न्यूक्लियस की स्थिरता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, और Q-वैल्यू की गणना परमाणु प्रतिक्रियाओं में ऊर्जा परिवर्तनों को समझने के लिए आवश्यक है। यह ज्ञान परमाणु ऊर्जा, चिकित्सा इमेजिंग और रेडियोधर्मी डेटिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
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