28-02-2025 B | General Studies | ESE
By gateprep 1o1
ScienceEducation
Share:
Key Concepts
- मिलर इंडेक्स (Miller Indices): क्रिस्टलोग्राफिक प्लेन और डायरेक्शन को दर्शाने का तरीका।
- क्रिस्टलोग्राफिक कोऑर्डिनेट सिस्टम (Crystallographic Coordinate System): क्रिस्टल में एटम्स की पोजीशन को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कोऑर्डिनेट सिस्टम।
- इंटरसेप्ट (Intercept): प्लेन द्वारा एक्सिस पर बनाए गए कटान बिंदु।
- रेसिप्रोकल (Reciprocal): इंटरसेप्ट के मल्टीपल का व्युत्क्रम।
- लीनियर डेंसिटी (Linear Density): किसी विशेष क्रिस्टलोग्राफिक डायरेक्शन में प्रति यूनिट लंबाई में एटम्स की संख्या।
- प्लेनर डेंसिटी (Planar Density): किसी विशेष क्रिस्टलोग्राफिक प्लेन पर प्रति यूनिट एरिया में एटम्स की संख्या।
- ब्रेक्स लॉ (Bragg's Law): एक्सरे डिफ्रेक्शन के लिए एक समीकरण जो इंटरप्लेनर स्पेसिंग, वेवलेंथ और रिफ्लेक्शन एंगल के बीच संबंध बताता है।
- क्रिस्टल डिफेक्ट (Crystal Defect): क्रिस्टल में पीरियोडिक अरेंजमेंट से विचलन।
- पॉइंट डिफेक्ट (Point Defect): क्रिस्टल में एक या दो एटॉमिक डिस्टेंस के क्रम में डिफेक्ट।
- वेकेंसी (Vacancy): लैटिस साइट से एक एटम का गायब होना।
- इंटरस्टिशल डिफेक्ट (Interstitial Defect): एक एटम का इंटरस्टिशल पोजीशन पर कब्जा करना।
- सब्सीट्यूशनल डिफेक्ट (Substitutional Defect): एक पैरेंट एटम का एक फॉरेन एटम द्वारा प्रतिस्थापित होना।
- स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट (Stoichiometric Defect): एक डिफेक्ट जो कटान और एनायन के अनुपात को रासायनिक सूत्र द्वारा बताए गए अनुपात के समान रखता है।
- नॉन-स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट (Non-Stoichiometric Defect): एक डिफेक्ट जो कटान और एनायन के अनुपात को बदल देता है।
- शॉर्टकी डिफेक्ट (Schottky Defect): एक स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट जिसमें कटान और एनायन की एक जोड़ी क्रिस्टल से गायब होती है।
- फ्रेंकल डिफेक्ट (Frenkel Defect): एक स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट जिसमें एक कटान अपनी लैटिस पोजीशन छोड़ देता है और एक इंटरस्टिशल पोजीशन पर कब्जा कर लेता है।
- एफ-सेंटर डिफेक्ट (F-Center Defect): एक नॉन-स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट जिसमें एक एनायन अपनी लैटिस साइट से गायब होता है, जिससे एक वेकेंसी बनती है जो एक इलेक्ट्रॉन द्वारा कब्जा कर ली जाती है।
- एटॉमिक वाइब्रेशन (Atomic Vibration): सॉलिड में एटम्स का अपनी लैटिस पोजीशन के आसपास लगातार वाइब्रेट करना।
- फनान (Phonon): एटॉमिक वाइब्रेशन के कारण उत्पन्न हीट वेव की एनर्जी क्वांटा।
- डिसलोकेशन (Dislocation): क्रिस्टल में एक लीनियर या वन-डायमेंशनल डिफेक्ट।
- एज डिसलोकेशन (Edge Dislocation): एक डिसलोकेशन जिसमें एक हाफ प्लेन क्रिस्टल के अंदर ही समाप्त हो जाता है।
- स्क्रू डिसलोकेशन (Screw Dislocation): एक डिसलोकेशन जो सीयर स्ट्रेस के कारण बनता है।
- बर्जर्स वेक्टर (Burgers Vector): एक वेक्टर जो डिसलोकेशन के मैग्नीट्यूड और डायरेक्शन को दर्शाता है।
मिलर इंडेक्स फॉर प्लेनस
- मिलर इंडेक्स का उपयोग प्लेन को दर्शाने के लिए किया जाता है, जो डायरेक्शन की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि प्लेन से संबंधित प्रश्न अधिक आते हैं।
- स्टेप 1: एक क्रिस्टलोग्राफिक कोऑर्डिनेट सिस्टम का चयन करें जिसका ओरिजिन दिए गए प्लेन पर स्थित न हो।
- स्टेप 2: प्रत्येक एक्सिस पर दिए गए प्लेन द्वारा बनाए गए इंटरसेप्ट को निर्धारित करें।
- उदाहरण: x-एक्सिस पर a/2, y-एक्सिस पर 3b, और z-एक्सिस पर c।
- स्टेप 3: a, b, c को छोड़ दें और अगले स्टेप के लिए a, b, c के मल्टीपल पर विचार करें।
- उदाहरण: 1/2, 3, 1
- स्टेप 4: मल्टीपल के रेसिप्रोकल प्राप्त करें।
- उदाहरण: 2, 1/3, 1
- स्टेप 5: रेसिप्रोकल को इंटीजर के सबसे छोटे सेट में कन्वर्ट करें और उन्हें बिना कॉमा के छोटे ब्रैकेट में रखें।
- उदाहरण: 6, 1, 3 (एलसीएम 3 लेकर गुणा करने पर)
- यदि ओरिजिन प्लेन पर स्थित है, तो ओरिजिन को शिफ्ट करें।
- यदि प्लेन किसी एक्सिस के समानांतर है, तो इंटरसेप्ट अनंत है, और रेसिप्रोकल शून्य है।
- बार (overline) नेगेटिव इंटरसेप्ट को दर्शाता है।
- समानांतर प्लेन में समान मिलर इंडेक्स होंगे।
लीनियर डेंसिटी
- लीनियर डेंसिटी को प्रति यूनिट लंबाई में एटम्स की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनके केंद्र एक विशिष्ट क्रिस्टलोग्राफिक डायरेक्शन के लिए डायरेक्शन वेक्टर पर स्थित होते हैं।
- फार्मूला: LD = (डायरेक्शन वेक्टर पर केंद्रित एटम्स की संख्या) / (डायरेक्शन वेक्टर की लंबाई)
- उदाहरण: FCC क्रिस्टल में [110] डायरेक्शन के लिए, LD = 2 / (4r) = 1 / (2r), जहाँ r एटम की त्रिज्या है।
प्लेनर डेंसिटी
- प्लेनर डेंसिटी को प्रति यूनिट एरिया में एटम्स की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक विशेष क्रिस्टलोग्राफिक प्लेन पर केंद्रित होते हैं।
- फार्मूला: PD = (प्लेन पर केंद्रित एटम्स की संख्या) / (प्लेन का एरिया)
- उदाहरण: क्यूबिक यूनिट सेल में (100) प्लेन के लिए, PD = 2 / a^2, जहाँ a यूनिट सेल की एज लेंथ है।
ब्रेक्स लॉ ऑफ एक्सरे डिफ्रेक्शन
- ब्रेक्स लॉ क्रिस्टल में एटम्स द्वारा एक्स-रे के डिफ्रेक्शन का वर्णन करता है।
- फार्मूला: nλ = 2d(hkl)sinθ, जहाँ:
- n = रिफ्लेक्शन का क्रम
- λ = एक्स-रे की वेवलेंथ
- d(hkl) = मिलर इंडेक्स (hkl) वाले दो समानांतर प्लेन के बीच की इंटरप्लेनर स्पेसिंग
- θ = रिफ्लेक्शन एंगल
- क्यूबिक क्रिस्टल के लिए: d(hkl) = a / √(h^2 + k^2 + l^2), जहाँ a क्यूब की एज लेंथ है।
क्रिस्टल डिफेक्ट्स
- क्रिस्टल डिफेक्ट क्रिस्टल में पीरियोडिक अरेंजमेंट से विचलन हैं।
- आदर्श क्रिस्टल: एक क्रिस्टल जिसमें एटम्स की परफेक्टली रेगुलर पीरियोडिक अरेंजमेंट होती है।
- वास्तविक क्रिस्टल में हमेशा कुछ मात्रा में डिफेक्ट होते हैं।
- डिफेक्ट का वर्गीकरण:
- जीरो डायमेंशन (पॉइंट डिफेक्ट): डिफेक्ट का आकार एक या दो एटॉमिक डिस्टेंस के क्रम में होता है।
- उदाहरण: वेकेंसी, इंटरस्टिशल डिफेक्ट, सब्सीट्यूशनल डिफेक्ट
- वन डायमेंशन (लाइन डिफेक्ट): डिफेक्ट एक लाइन के साथ होता है।
- उदाहरण: डिसलोकेशन (एज, स्क्रू)
- टू डायमेंशन (सरफेस डिफेक्ट): डिफेक्ट एक सरफेस पर होता है।
- उदाहरण: ग्रेन बाउंड्री, फ्री सरफेस
- जीरो डायमेंशन (पॉइंट डिफेक्ट): डिफेक्ट का आकार एक या दो एटॉमिक डिस्टेंस के क्रम में होता है।
पॉइंट डिफेक्ट्स
- पॉइंट डिफेक्ट को वेकेंसी, इंटरस्टिशल और सब्सीट्यूशनल के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- वेकेंसी डिफेक्ट:
- एक एटम अपनी लैटिस साइट से गायब है।
- तापमान बढ़ने के साथ वेकेंसी डिफेक्ट बढ़ता है।
- Nv = N * exp(-Qv / (kT)), जहाँ:
- Nv = प्रति यूनिट वॉल्यूम में वेकेंसी की संख्या
- N = प्रति यूनिट वॉल्यूम में एटम्स की संख्या
- Qv = वेकेंसी फॉर्मेशन के लिए आवश्यक ऊर्जा
- k = बोल्ट्जमैन स्थिरांक
- T = केल्विन में तापमान
- इंटरस्टिशल डिफेक्ट:
- एक एटम एक इंटरस्टिशल पोजीशन पर कब्जा कर लेता है।
- आमतौर पर तब बनता है जब एक छोटे आकार की अशुद्धता को बड़े आकार की सामग्री में जोड़ा जाता है।
- सेल्फ-इंटरस्टिशल: यदि इंटरस्टिशल पोजीशन पर पैरेंट एटम का कब्जा है।
- सब्सीट्यूशनल डिफेक्ट:
- एक अशुद्धता एटम एक पैरेंट एटम को प्रतिस्थापित करता है।
- यदि अशुद्धता एटम का आकार पैरेंट एटम के आकार के बराबर है।
पॉइंट डिफेक्ट्स इन सॉलिड्स
- पॉइंट डिफेक्ट को स्टिक मेट्रिक या नॉन-स्टिक मेट्रिक के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है।
- स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट:
- आयनिक यौगिकों के लिए एक स्टेट जहां कटान से एनायन का सटीक अनुपात रासायनिक सूत्र द्वारा बताए गए अनुपात के समान होता है।
- शॉर्टकी डिफेक्ट: कटान और एनायन की एक जोड़ी क्रिस्टल से गायब है।
- फ्रेंकल डिफेक्ट: एक कटान अपनी लैटिस पोजीशन छोड़ देता है और एक इंटरस्टिशल पोजीशन पर कब्जा कर लेता है।
- नॉन-स्टिक मेट्रिक डिफेक्ट:
- यदि यौगिक में कटान से एनायन के सटीक अनुपात से कोई विचलन होता है।
- मेटल एक्सेस डिफेक्ट: कटान की संख्या बढ़ जाती है।
- एफ-सेंटर डिफेक्ट: एक एनायन अपनी लैटिस साइट से अनुपस्थित है, जिससे एक वेकेंसी बनती है जो एक इलेक्ट्रॉन द्वारा कब्जा कर ली जाती है।
- इंटरस्टिशल आयन और इलेक्ट्रॉन डिफेक्ट: एक अतिरिक्त कटान एक इंटरस्टिशल पोजीशन पर कब्जा कर लेता है, और इलेक्ट्रिकल न्यूट्रलिटी को एक अतिरिक्त इंटरस्टिशल इलेक्ट्रॉन के समावेश द्वारा बनाए रखा जाता है।
- मेटल डिफिशिएंसी डिफेक्ट: कटान की संख्या कम हो जाती है।
- एक कटान अपनी लैटिस साइट से अनुपस्थित है, और चार्ज को आसन्न धातु आयनों द्वारा संतुलित किया जा सकता है जिसमें अतिरिक्त पॉजिटिव चार्ज होता है।
एटॉमिक वाइब्रेशंस
- सॉलिड में प्रत्येक एटम अपनी लैटिस पोजीशन के बारे में तेजी से वाइब्रेट कर रहा है।
- इन एटॉमिक वाइब्रेशन को इम्परफेक्शन या डिफेक्ट के रूप में माना जा सकता है।
- आसन्न एटम्स के वाइब्रेशन को इस तरह से कोऑर्डिनेट किया जाता है कि ट्रैवलिंग लैटिस वेव बनती हैं।
- ये लैटिस वेव सामग्री के माध्यम से हीट का परिवहन करती हैं।
- इन लैटिस वेव की वाइब्रेशनल थर्मल एनर्जी क्वांटा है, और इस वेव की एनर्जी की एक सिंगल क्वांटा को फनान के रूप में जाना जाता है।
डिसलोकेशन
- डिसलोकेशन एक लीनियर या वन-डायमेंशनल डिफेक्ट है।
- एज डिसलोकेशन: एक अतिरिक्त प्लेन या हाफ प्लेन क्रिस्टल के अंदर ही समाप्त हो जाता है।
- स्क्रू डिसलोकेशन: सीयर स्ट्रेस के कारण बनता है।
- बर्जर्स वेक्टर: एक वेक्टर जो डिसलोकेशन के मैग्नीट्यूड और डायरेक्शन को दर्शाता है।
- एज डिसलोकेशन के लिए, बर्जर्स वेक्टर डिसलोकेशन लाइन के लंबवत है।
- स्क्रू डिसलोकेशन के लिए, बर्जर्स वेक्टर डिसलोकेशन लाइन के समानांतर है।
- धातु सामग्री के लिए, बर्जर्स वेक्टर एक क्लोज-पैक क्रिस्टलोग्राफिक डायरेक्शन में इंगित करता है और इसका मैग्नीट्यूड इंटरएटॉमिक स्पेसिंग के बराबर होता है।
Conclusion
यह सारांश क्रिस्टलोग्राफी के मुख्य पहलुओं को शामिल करता है, जिसमें मिलर इंडेक्स, लीनियर और प्लेनर डेंसिटी, ब्रेक्स लॉ, क्रिस्टल डिफेक्ट और डिसलोकेशन शामिल हैं। यह विभिन्न प्रकार के डिफेक्ट, उनके गठन के तंत्र और सामग्री के गुणों पर उनके प्रभाव की विस्तृत व्याख्या प्रदान करता है। यह सारांश परीक्षा की तैयारी और सामग्री के गुणों को समझने के लिए एक व्यापक संसाधन के रूप में काम कर सकता है।
Chat with this Video
AI-PoweredHi! I can answer questions about this video "28-02-2025 B | General Studies | ESE". What would you like to know?
Chat is based on the transcript of this video and may not be 100% accurate.