05-03-2025 | General Studies | ESE
By gateprep 1o1
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कोनिक सेक्शन और इंजीनियरिंग कर्व्स का विस्तृत सारांश
मुख्य अवधारणाएँ:
- कोनिक सेक्शन (शंकु खंड): शंकु को काटने से बनने वाली आकृतियाँ, जैसे कि हाइपरबोला, पैराबोला और एलिप्स।
- लोकस ऑफ़ पॉइंट: बिंदुओं का पथ जो एक निश्चित नियम का पालन करता है।
- डायरेक्ट्रिक्स: एक निश्चित रेखा जिससे कोनिक सेक्शन पर किसी बिंदु की दूरी मापी जाती है।
- फोकस: एक निश्चित बिंदु जिससे कोनिक सेक्शन पर किसी बिंदु की दूरी मापी जाती है।
- सेंट्रिसिटी (उत्केन्द्रता): फोकस से बिंदु की दूरी और डायरेक्ट्रिक्स से बिंदु की दूरी का अनुपात (PF/PD)।
- इंजीनियरिंग कर्व्स: इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने वाले विशेष वक्र, जैसे साइक्लोइड, इवोल्यूट और स्पाइरल।
- प्लेन कर्व: 2D प्लेन पर खींचे गए कर्व।
- स्पेस कर्व: 3D स्पेस में खींचे गए कर्व।
- प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को 2D प्लेन पर दर्शाने की विधि।
- ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन: समानांतर रेखाओं का उपयोग करके 3D ऑब्जेक्ट को 2D प्लेन पर दर्शाने की विधि।
- पिक्टोरियल प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को एक ही दृश्य में दर्शाने की विधि।
- मल्टीव्यू प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को कई दृश्यों में दर्शाने की विधि।
- फर्स्ट एंगल प्रोजेक्शन: ऑब्जेक्ट को ऑब्जर्वर और प्रोजेक्शन प्लेन के बीच रखा जाता है।
- थर्ड एंगल प्रोजेक्शन: प्रोजेक्शन प्लेन को ऑब्जर्वर और ऑब्जेक्ट के बीच रखा जाता है।
1. कोनिक सेक्शन को लोकस ऑफ़ पॉइंट के रूप में परिभाषित करना
- परिभाषा: कोनिक सेक्शन को उन बिंदुओं के लोकस के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो एक तल में इस प्रकार चलते हैं कि फोकस से बिंदु की दूरी और डायरेक्ट्रिक्स से बिंदु की दूरी का अनुपात हमेशा स्थिर रहता है।
- गणितीय रूप: सेंट्रिसिटी (e) = PF/PD, जहाँ PF फोकस से बिंदु की दूरी है और PD डायरेक्ट्रिक्स से बिंदु की दूरी है।
- एक्सिस: CC' एक्सिस है।
- डायरेक्ट्रिक्स: DD' डायरेक्ट्रिक्स है।
- फोकस: F फोकस है, जो एक निश्चित बिंदु है।
- वर्टेक्स: कोनिक जहाँ एक्सिस को काटता है, वह वर्टेक्स कहलाता है।
2. सेंट्रिसिटी के आधार पर कोनिक सेक्शन के प्रकार
- हाइपरबोला: यदि e > 1, तो कोनिक हाइपरबोला होता है।
- उपयोग: कूलिंग टावरों और फ्लावर वेस के डिजाइन में।
- पैराबोला: यदि e = 1, तो कोनिक पैराबोला होता है।
- उपयोग: प्रक्षेप्य पथ (Trajectory of particle), रिफ्लेक्टर और डिश एंटीना के डिजाइन में।
- एलिप्स: यदि e < 1, तो कोनिक एलिप्स होता है।
- उपयोग: एलिप्टिकल गियर और पुल आर्च के डिजाइन में।
3. एलिप्स के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- परिभाषा: एलिप्स उन बिंदुओं का लोकस है जिनके फोकी से दूरियों का योग स्थिर होता है।
- मेजर एक्सिस: V V' मेजर एक्सिस है।
- माइनर एक्सिस: V1 V1' माइनर एक्सिस है।
- केंद्र: एलिप्स का केंद्र।
- बिंदु P के लिए: PF + PF' = V V' (मेजर एक्सिस)।
- V1F = V1F' = (मेजर एक्सिस)/2
- सेंट्रिसिटी: e = CF/CV = CV/CC' < 1
4. हाइपरबोला के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
- परिभाषा: हाइपरबोला उन बिंदुओं का लोकस है जिनके फोकी से दूरियों का अंतर स्थिर होता है।
- ट्रांसवर्स एक्सिस: V V' ट्रांसवर्स एक्सिस है।
- असिम्पटोट्स: XX' और YY' असिम्पटोट्स हैं।
- बिंदु P के लिए: |PF - PF'| = V V' (ट्रांसवर्स एक्सिस)।
- सेंट्रिसिटी: e = CF/CV = CV/CC' > 1
- रेक्टेंगुलर हाइपरबोला: यदि असिम्पटोट्स 90 डिग्री पर हैं, तो हाइपरबोला रेक्टेंगुलर हाइपरबोला कहलाता है, और e = √2।
- गणितीय रूप: xy = स्थिर (constant)।
- उदाहरण: बॉयल का नियम (PV = स्थिर) और क्यूरी का नियम (χT = स्थिर)।
5. इंजीनियरिंग कर्व्स
- प्लेन कर्व: 2D प्लेन पर खींचे गए कर्व।
- साइक्लोइडल कर्व: एक सर्कल द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो एक सीधी रेखा पर लुढ़कता है।
- साइक्लोइड: एक सर्कल पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- ट्रोकोइड: एक सर्कल के अंदर या बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- सुपीरियर ट्रोकोइड: सर्कल के बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- इनफीरियर ट्रोकोइड: सर्कल के अंदर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- उपयोग: मैकेनिकल घड़ियाँ, सबसे तेज़ अवतरण का वक्र (curve of fastest descent), गियर प्रोफाइल।
- एपीसाइक्लोइडल कर्व: एक सर्कल द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो दूसरे सर्कल के बाहर लुढ़कता है।
- एपीसाइक्लोइड: एक सर्कल पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- एपीट्रोकोइड: एक सर्कल के अंदर या बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- सुपीरियर एपीट्रोकोइड: सर्कल के बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- इनफीरियर एपीट्रोकोइड: सर्कल के अंदर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- उपयोग: रोटरी पंप और ब्लोअर।
- कार्डियोइड: एक एपीसाइक्लोइड जहाँ जनरेटिंग सर्कल और डायरेक्टिंग सर्कल का रेडियस समान होता है।
- नेफ्रॉइड: एक एपीसाइक्लोइड जहाँ डायरेक्टिंग सर्कल का रेडियस जनरेटिंग सर्कल के रेडियस का दोगुना होता है।
- हाइपोसाइक्लोइडल कर्व: एक सर्कल द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो दूसरे सर्कल के अंदर लुढ़कता है।
- हाइपोसाइक्लोइड: एक सर्कल पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- हाइपोट्रोकोइड: एक सर्कल के अंदर या बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- सुपीरियर हाइपोट्रोकोइड: सर्कल के बाहर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- इनफीरियर हाइपोट्रोकोइड: सर्कल के अंदर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- उपयोग: रोटरी पंप और ब्लोअर।
- यदि डायरेक्टिंग सर्कल का रेडियस जनरेटिंग सर्कल के रेडियस का दोगुना है, तो हाइपोसाइक्लोइड एक सीधी रेखा होती है।
- इवोल्यूट: एक धागे के अंत द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो एक सर्कल से खुलता है।
- उपयोग: गियर टीथ प्रोफाइल का डिजाइन।
- स्पाइरल: एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो एक रेखा के साथ चलता है जो एक निश्चित बिंदु के चारों ओर घूमती है।
- आर्किमिडीयन स्पाइरल: एक स्पाइरल जहाँ त्रिज्या अंकगणितीय प्रगति (arithmetic progression) में बढ़ती है।
- उदाहरण: मच्छर भगाने वाली कॉइल।
- लॉगरिदमिक स्पाइरल: एक स्पाइरल जहाँ त्रिज्या ज्यामितीय प्रगति (geometric progression) में बढ़ती है।
- उदाहरण: मानव कान, आकाशगंगा।
- गोल्डन स्पाइरल: एक स्पाइरल जहाँ त्रिज्या 1.618 (गोल्डन अनुपात) के अनुपात में बढ़ती है।
- उदाहरण: नॉटिलस शेल।
- आर्किमिडीयन स्पाइरल: एक स्पाइरल जहाँ त्रिज्या अंकगणितीय प्रगति (arithmetic progression) में बढ़ती है।
- साइक्लोइडल कर्व: एक सर्कल द्वारा ट्रेस किया गया कर्व जो एक सीधी रेखा पर लुढ़कता है।
- स्पेस कर्व: 3D स्पेस में खींचे गए कर्व।
- सिलिंड्रिकल हेलिक्स: एक सिलेंडर पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- उपयोग: स्प्रिंग, नट और बोल्ट पर थ्रेड, बुक बाइंडिंग, सीढ़ियाँ।
- कोनिकल हेलिक्स: एक शंकु पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
- उपयोग: स्प्रिंग, नट और बोल्ट पर थ्रेड।
- सिलिंड्रिकल हेलिक्स: एक सिलेंडर पर एक बिंदु द्वारा ट्रेस किया गया कर्व।
6. प्रोजेक्शन का सिद्धांत
- पैरेलल प्रोजेक्शन: समानांतर रेखाओं का उपयोग करके 3D ऑब्जेक्ट को 2D प्लेन पर दर्शाने की विधि।
- ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन: समानांतर रेखाएँ प्रोजेक्शन प्लेन के लंबवत होती हैं।
- मल्टीव्यू प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को कई दृश्यों में दर्शाने की विधि।
- आइसोमेट्रिक प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को एक ही दृश्य में दर्शाने की विधि, जहाँ तीनों अक्ष समान रूप से छोटा किए जाते हैं।
- ऑब्लिक प्रोजेक्शन: समानांतर रेखाएँ प्रोजेक्शन प्लेन के लंबवत नहीं होती हैं।
- ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन: समानांतर रेखाएँ प्रोजेक्शन प्लेन के लंबवत होती हैं।
- पर्सपेक्टिव प्रोजेक्शन: अभिसारी रेखाओं का उपयोग करके 3D ऑब्जेक्ट को 2D प्लेन पर दर्शाने की विधि।
- पिक्टोरियल प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को एक ही दृश्य में दर्शाने की विधि (ऑब्लिक, आइसोमेट्रिक और पर्सपेक्टिव)।
- मल्टीव्यू ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन: 3D ऑब्जेक्ट को कई दृश्यों में दर्शाने की विधि, जहाँ प्रत्येक दृश्य में केवल दो आयाम दिखाई देते हैं।
- फर्स्ट एंगल प्रोजेक्शन: ऑब्जेक्ट को ऑब्जर्वर और प्रोजेक्शन प्लेन के बीच रखा जाता है।
- थर्ड एंगल प्रोजेक्शन: प्रोजेक्शन प्लेन को ऑब्जर्वर और ऑब्जेक्ट के बीच रखा जाता है।
- वर्टिकल प्लेन (VP): वह प्लेन जो ऑब्जर्वर के सामने लंबवत होता है।
- हॉरिजॉन्टल प्लेन (HP): वह प्लेन जो ऑब्जर्वर के नीचे क्षैतिज होता है।
- प्रोफाइल प्लेन (PP): वह प्लेन जो VP और HP के लंबवत होता है।
- संदर्भ रेखा (XY): VP और HP का प्रतिच्छेदन।
- प्रोजेक्शन लाइनें: ऑब्जेक्ट से प्रोजेक्शन प्लेन तक खींची गई रेखाएँ।
- फ्रंट व्यू (एलिवेशन): VP पर ऑब्जेक्ट का दृश्य।
- टॉप व्यू (प्लान): HP पर ऑब्जेक्ट का दृश्य।
- साइड व्यू: PP पर ऑब्जेक्ट का दृश्य।
7. मल्टीव्यू ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन बनाने के नियम
- HP को 90 डिग्री दक्षिणावर्त घुमाएँ।
- प्रोफाइल प्लेन को ऑब्जेक्ट से 90 डिग्री दूर घुमाएँ।
8. निष्कर्ष
यह सारांश कोनिक सेक्शन, इंजीनियरिंग कर्व्स और प्रोजेक्शन के सिद्धांतों की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह विभिन्न प्रकार के कोनिक सेक्शन और इंजीनियरिंग कर्व्स, उनके अनुप्रयोगों और मल्टीव्यू ऑर्थोग्राफिक प्रोजेक्शन बनाने के नियमों को शामिल करता है। यह जानकारी इंजीनियरिंग ड्राइंग और डिजाइन के क्षेत्र में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपयोगी होगी।
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